Sunday, May 31, 2009

Babbar Sher

ये एल ई सी वाले भी वाले भी ....................


ये एल ई सी वाले भी वाले भी


ये एल ई सी वाले भी वाले भी अपनी आदतों से बाज नहीं आते है




मेरे मरने से कितना फायदा होगा घंटो तक बैठ कर मेरी बीवी को समझाते है

Saturday, January 31, 2009

काँच की बरनी और दो कप चाय

जीवन में जब सब कुछ एक साथ और जल्दी-जल्दी करने की इच्छा होती है, सब कुछ तेजी से पा लेने की इच्छा होती है, और हमें लगने लगता है कि दिन के चौबीस घंटे भी कम पड़ते हैं, उस समय ये बोध कथा, "काँच की बरनी और दो कप चाय" हमें याद आती है ।दर्शनशास्त्र के एक प्रोफ़ेसर कक्षा में आये और उन्होंने छात्रों से कहा कि वे आज जीवन का एक महत्वपूर्ण पाठ पढाने वाले हैं...उन्होंने अपने साथ लाई एक काँच की बडी़ बरनी (जार) टेबल पर रखा और उसमें टेबल टेनिस की गेंदें डालने लगे और तब तक डालते रहे जब तक कि उसमें एक भी गेंद समाने की जगह नहीं बची... उन्होंने छात्रों से पूछा - क्या बरनी पूरी भर गई ? हाँ... आवाज आई...फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने छोटे-छोटे कंकर उसमें भरने शुरु किये, धीरे-धीरे बरनी को हिलाया तो काफ़ी सारे कंकर उसमें जहाँ जगह खाली थी, समा गये, फ़िर से प्रोफ़ेसर साहब ने पूछा, क्या अब बरनी भर गई है, छात्रों ने एक बार फ़िर हाँ.. कहा अब प्रोफ़ेसर साहब ने रेत की थैली से हौले-हौले उस बरनी में रेत डालना शुरु किया, वह रेत भी उस जार में जहाँ संभव था बैठ गई, अब छात्र अपनी नादानी पर हँसे... फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने पूछा, क्यों अब तो यह बरनी पूरी भर गई ना ? हाँ.. अब तो पूरी भर गई है.. सभी ने एक स्वर में कहा..सर ने टेबल के नीचे से चाय के दो कप निकालकर उसमें की चाय जार में डाली, चाय भी रेत के बीच में स्थित थोडी़ सी जगह में सोख ली गई...प्रोफ़ेसर साहब ने गंभीर आवाज में समझाना शुरु किया - इस काँच की बरनी को तुम लोग अपना जीवन समझो... टेबल टेनिस की गेंदें सबसे महत्वपूर्ण भाग अर्थात भगवान, परिवार, बच्चे, मित्र, स्वास्थ्य और शौक हैं, छोटे कंकर मतलब तुम्हारी नौकरी, कार, बडा़ मकान आदि हैं, और रेत का मतलब और भी छोटी-छोटी बेकार सी बातें, मनमुटाव, झगडे़ है..अब यदि तुमने काँच की बरनी में सबसे पहले रेत भरी होती तो टेबल टेनिस की गेंदों और कंकरों के लिये जगह ही नहीं बचती, या कंकर भर दिये होते तो गेंदें नहीं भर पाते, रेत जरूर आ सकती थी...ठीक यही बात जीवन पर लागू होती है...यदि तुम छोटी-छोटी बातों के पीछे पडे़ रहोगे और अपनी ऊर्जा उसमें नष्ट करोगे तो तुम्हारे पास मुख्य बातों के लिये अधिक समय नहीं रहेगा... मन के सुख के लिये क्या जरूरी है ये तुम्हें तय करना है । अपने बच्चों के साथ खेलो, बगीचे में पानी डालो, सुबह पत्नी के साथ घूमने निकल जाओ, घर के बेकार सामान को बाहर निकाल फ़ेंको, मेडिकल चेक-अप करवाओ..टेबल टेनिस गेंदों की फ़िक्र पहले करो, वही महत्वपूर्ण है... पहले तय करो कि क्या जरूरी है... बाकी सब तो रेत है..छात्र बडे़ ध्यान से सुन रहे थे.. अचानक एक ने पूछा, सर लेकिन आपने यह नहीं बताया कि "चाय के दो कप" क्या हैं ?प्रोफ़ेसर मुस्कुराये, बोले.. मैं सोच ही रहा था कि अभी तक ये सवाल किसी ने क्यों नहीं किया... इसका उत्तर यह है कि, जीवन हमें कितना ही परिपूर्ण और संतुष्ट लगे, लेकिन अपने खास मित्र के साथ दो कप चाय पीने की जगह हमेशा होनी चाहिये ।

Friday, January 30, 2009

वक्त नही

हर खुशी है लोगों के दामन में ,
पर एक हँसी के लिए वक्त नही .
दिन रात दौड़ती दुनिया में ,
जिंदगी के लिए ही वक्त नही .

माँ की लोरी का एहसास तो है ,
पर माँ को माँ कहने का वक्त नही .
सारे रिश्तों को तो हम मार चुके ,
अब उन्हें दफ़नाने का भी वक्त नही .

सारे नाम मोबाइल में हैं ,
पर दोस्ती के लिए वक्त नही .
गैरों की क्या बात करें ,
जब अपनों के लिए ही वक्त नही .

आंखों में है नींद बड़ी ,
पर सोने का वक्त नही .
दिल है ग़मों से भरा हुआ ,
पर रोने का भी वक्त नही .

पैसों की दौड़ में ऐसे दौडे ,
की थकने का भी वक्त नही .
पराये एहसासों की क्या कद्र करें ,
जब अपने सपनो के लिए ही वक्त नही .

तू ही बता ऐ जिंदगी ,
इस जिंदगी का क्या होगा ,
की हर पल मरने वालों को ,
जीने के लिए भी वक्त नही .......

अब तो रो भी नही सकते

बचपन के भी दुःख कितने अच्छे थे .
तब तो सिर्फ़ खिलोने टुटा करते थे ..
वो खुशिया भी न जाने कैसी खुशिया थी .......
तितली को पकड़ कर उछला करते थे .......
पाव मार कर पानी में अपने आप भिगोया करते थे .....
अब तो एक आंसू भी रुसवा कर जाता है .....
बचपन में तो दिल खोल कर रोया करते थे ............

Thursday, January 29, 2009

SHAYRIYAN


khushiyo ka ek sansaar leke ayenge, Patjhad mein bhi bahaar leke ayenge, Jab bhi pukarenge aap pyaar se, Zindgi se saansen udhar leke ayenge
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ZAMANE KI HAR JANNAT TUMHARI HOGI YE AASMAAN YE ZAMI TUMHARI HOGI MUJHSE KEH BHI NA PAOGE USKE PEHLE MERE HISSE KI HAR KHUSHI TUMHARI HOGI
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bikhri ankhon se moti hum piro na sake teri yaad me sari raat so na sake beh na jaye ansuon me tasvir ye soch kar hum ro na sake
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Gum ki aahat bhi na aaye tere dar par, pyar ka samunder ka tu bhi ek kinara ho, kabhi bhool se jo tapke teri aankh se moti, thame wohi jo tujhe sab se pyara ho !!!
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Kisi mor pe ham ap ko khoney nahi denge.. Juda hona chaho to honey nahi denge… Chandni raton man aye gi meri yad… Meri yad ke wo pal ap ko soney nahi denge
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Bhulana tumhe na asaan hoga
jo bhule tumhe wo nadan hoga


Wednesday, January 28, 2009

क्या है सच्चा प्यार

एक चिडिया को एक सफ़ेद गुलाब से प्यार हो गया , उसने गुलाब को प्रपोस किया ,
गुलाब ने जवाब दिया की जिस दिन मै लाल हो जाऊंगा उस दिन मै तुमसे प्यार करूँगा ,
जवाब सुनके चिडिया गुलाब के आस पास काँटों में लोटने लगी और उसके खून से गुलाब लाल हो गया,
ये देखके गुलाब ने भी उससे कहा की वो उससे प्यार करता है पर तब तक चिडिया मर चुकी थी


इसीलिए कहा गया है की सच्चे प्यार का कभी भी इम्तहान नहीं लेना चाहिए,
क्यूंकि सच्चा प्यार कभी इम्तहान का मोहताज नहीं होता है ,
ये वो फलसफा; है जो आँखों से बया होता है ,

ये जरूरी नहीं की तुम जिसे प्यार करो वो तुम्हे प्यार दे ,
बल्कि जरूरी ये है की जो तुम्हे प्यार करे तुम उसे जी भर कर प्यार दो,
फिर देखो ये दुनिया जन्नत सी लगेगी
प्यार खुदा की ही बन्दगी है ,खुदा भी प्यार करने वालो के साथ रहता है,

कभी जमी तो कभी आसमा नही मिलता

jami per khuda milta to, koi uski ibadat nahi karta
khuda hota agra dosto mai,to koi bebafai nahi karta
kismat likne wale ko, jagah to mil gayi har dil me
sukh me bhi koi yaad rakhe wo hakim nahi milta

Apne saye per nahi,itna yakin hai muje kud per
saya ko juda kar de ,wo andhera muje nahi milta
jindgi bebafa nahi hoti,muhabbt bebafa ho jati hai
mohabbat ka matlab samjade,wo saks muje nahi milta

such hai kuch gum chupaye hai humne unse
wo meri hasi se samaj le, wo dilwar nahi milta