बचपन के भी दुःख कितने अच्छे थे .
तब तो सिर्फ़ खिलोने टुटा करते थे ..
वो खुशिया भी न जाने कैसी खुशिया थी .......
तितली को पकड़ कर उछला करते थे .......
पाव मार कर पानी में अपने आप भिगोया करते थे .....
अब तो एक आंसू भी रुसवा कर जाता है .....
बचपन में तो दिल खोल कर रोया करते थे ............
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achhi lino ke santh jo photo hai vo meri 1 saal ki bhateeji hai.
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