Friday, January 30, 2009

वक्त नही

हर खुशी है लोगों के दामन में ,
पर एक हँसी के लिए वक्त नही .
दिन रात दौड़ती दुनिया में ,
जिंदगी के लिए ही वक्त नही .

माँ की लोरी का एहसास तो है ,
पर माँ को माँ कहने का वक्त नही .
सारे रिश्तों को तो हम मार चुके ,
अब उन्हें दफ़नाने का भी वक्त नही .

सारे नाम मोबाइल में हैं ,
पर दोस्ती के लिए वक्त नही .
गैरों की क्या बात करें ,
जब अपनों के लिए ही वक्त नही .

आंखों में है नींद बड़ी ,
पर सोने का वक्त नही .
दिल है ग़मों से भरा हुआ ,
पर रोने का भी वक्त नही .

पैसों की दौड़ में ऐसे दौडे ,
की थकने का भी वक्त नही .
पराये एहसासों की क्या कद्र करें ,
जब अपने सपनो के लिए ही वक्त नही .

तू ही बता ऐ जिंदगी ,
इस जिंदगी का क्या होगा ,
की हर पल मरने वालों को ,
जीने के लिए भी वक्त नही .......

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